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"हर एक स्त्री और पुरुष को प्यार करने और प्यार पाने का जन्मजात और प्राकृतिक अधिकार है। इसलिए हर एक व्यक्ति को प्रेम सम्बन्ध में होना चाहिए।"-"Every Woman and Man Have Inherent and Natural Right to Love and being Loved. Therefore Every Person Should be in Loving Relationship."

Monday 2 December 2013

स्‍त्री, संभोग और चरम तृप्ति

स्‍त्री, संभोग और चरम तृप्ति

यौन उत्‍तेजना का पहला अनुभव मस्तिष्‍क में होता है। इसके बाद सभी तंत्रिकाओं (नर्व्‍स) में खून तेजी से दौड़ने लगता है। इस कारण संभोगरत स्‍त्री का चेहरा तमतमा उठता है। कान, नाक, आंख, स्‍तन, भगोष्‍ठ व योनि की आंतरिक दीवारें फूल जाती हैं। भगांकुर का मुंड भीतर की ओर धंस जाता है, ह़दय की धड़कने बढ़ जाती हैं। योनि द्वार के अगलबगल स्थित बारथोलिन ग्रंथियों से तरल पदार्थ निकल कर योनि पथ को चिकना बना देता है, जिससे पुरुष लिंग और गहरे प्रवेश कर जाती है। डाक्‍टर किंसे के अनुसार, जब तक पुरुष का लिंग स्‍त्री योनि की गहराई तक प्रवेश नहीं करता, तब तक स्‍त्री को पूर्ण आनंद नहीं मिलता है।

उत्‍तेजना के कारण स्‍त्री के गर्भाशय ग्रीवा से कफ जैसा दूधिया गाढ़ा स्राव निकल आता है। गर्भाशय ग्रीवा के स्राव के कारण गर्भाशय मुख चिकना हो जाता है, जिससे पुरुष वीर्य और उसमें मौजूद शुक्राणु आसानी से तैरते हुए उसमें चले जाते हैं।

काम में संतुष्टि का अनुभव
यौन उत्‍तेजना के समय स्‍त्री की योनि के भीतर व गुदाद्वार के पास की पेशियां सिकुड़ जाती हैं। ये रुक-रुक कर फैलती और सिकुड़ती रहती है। यह इस बात का प्रमाण है कि स्‍त्री संभोग में पूरी तरह से संतुष्‍ट हो गई हैं। पुरुष अपने लिंग के ऊपर पेशियों के फैलने सिकुड़ने का अनुभव कर सकता है।

स्‍त्री आर्गेज्‍म की कई अवस्‍था
  1. * संभोग काल में हर स्‍त्री की चरम तृप्ति एक समान नहीं होती है। हर स्‍त्री के आर्गेज्‍म अनुभव अलग होता है। डॉ विलि, वैंडर व फिशर के अनुसार, चरमतृप्ति या आर्गेज्‍म प्राप्ति काल में स्‍त्री की योनि द्वार, भगांकुर, गुदापेशी व गर्भाशय मुख के पास की पेशियां तालबद्ध रूप में फैलने व सिकुड़ने लगती है। कभी-कभी ये पांचों एक साथ गतिशील हो जाती है, उस समय स्‍त्री के आनंद की कोई सीमा नहीं रह जाती है।
  2. * कोई स्‍त्री अनुभव करती है कि उसका गर्भाशय एक बार खुलता फिर बंद हो जाता है। इसमें कई स्त्रियों के मुंह से सिसकारी निकलने लगती है।
  3. * कुछ स्त्रियों में संपूर्ण योनि प्रदेश, गुदा से लेकर नाभि तक में सुरसुराहट की तरंग उठने लगती है। कई बार यह तरंग जांघों तक चली जाती है। उस समय स्‍त्री के चरम आनंद का ठिकाना नहीं रहता।
  4. * कुछ स्त्रियों को लगता है कि उनकी योनि के भीतर गुब्‍बारे फूट रहे हैं या फिर आतिशबाजी हो रही है। यह योनि के अंदर तीव्र हलचल का संकेत है, जो स्‍त्री को सुख से भर देता है।
आर्गेज्‍म काल में स्‍त्री की दशा
डॉ विलि, वैंडर व फिशर के अनुसार, जिस वक्‍त संभोग में स्‍त्री को आर्गेज्‍म की प्राप्ति होती रहती है उस वक्‍त उसकी आंखें मूंद जाती है, स्‍तन के कुचाग्र फड़कने लगते हैं, कानों के अंदर झनझनाहट उठने लगती है, शरीर में हल्‍कापन महसूस होता है, मन सुख की लहर दौड़ पड़ती है, प्रियतम के प्रति प्रेम से मन भर उठता है और कई बार हल्‍की भूख का भी अहसास होता है। कई स्त्रियों को पेशाब लग जाता है।

पुरुष में वीर्यपात तो स्‍त्री में क्‍या?
पुरुष के आर्गेज्‍म काल में उसके लिंग से वीर्य का स्राव होता है, जिसमें उसे आनंद की प्राप्ति होती है। लेकिन आर्गेज्‍म की अवस्‍था में स्‍त्री में ऐसा कोई स्राव होता है या नहीं, कामकला के विद्वानों में इस बात को लेकर मतभेद है। डॉ विलि, वैंडर व फिशर के मतानुसार, अधिक कामोत्‍तेजना के समय स्‍त्री का गर्भाशय सिकुड़ता है, जिससे गर्भाशय का श्‍लैष्मिक स्राव योनि में गिर पड़ता है, बहुत से स्त्रियों के गर्भाशय से कफ जैसा पदार्थ निकलता है और संपूण योनि पथ को गीला कर देता है। इस स्राव में चिपचिपाहट होती है।

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