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"हर एक स्त्री और पुरुष को प्यार करने और प्यार पाने का जन्मजात और प्राकृतिक अधिकार है। इसलिए हर एक व्यक्ति को प्रेम सम्बन्ध में होना चाहिए।"-"Every Woman and Man Have Inherent and Natural Right to Love and being Loved. Therefore Every Person Should be in Loving Relationship."

Wednesday 19 February 2014

सम्भोग के दौरान दर्द?-Pain During Intercourse?

गीतांजलि चंद्रशेखरन

सेक्स से बढ़िया चॉकलेट होता है। ऐसा कई महिलाओं का कहना है जो हर दिन पेनफुल इंटरकोर्स से जूझती हैं। रितिका सोहनी बेहिचक इस तथ्य को स्वीकार करती हैं। उन्होंने कहा कि उस एपिसोड को बिते 5 साल हो गए हैं। तब मुझे अपनी देह में वजाइना की स्थिति के बारे में कोई आइडिया नहीं था। आज की तारीख में सोहनी 33 साल की हैं। उनकी हाल ही में शादी हुई है। सोहनी ने शादी के 6 महीने बाद गाइनकॉलजिस्ट(स्त्री रोग विशेषज्ञ) से मिलने का फैसला किया। वह इंटरकोर्स के दौरान होने वाले दर्द से परेशान थीं। सेक्स के दौरान वजाइना में हाइमन के टूटने से होने वाली ब्लीडिंग चिंता का सबब नहीं था ब्लकि सोहनी इंटरकोर्स के दौरान जिस दर्द को झेल रही थीं उससे वह बेहद परेशान थीं। जब भी सोहनी को इंटिमेट होने का मौका मिलता है, वह डर जातीं। सोहनी नहीं चाहती कि उनका पति इंटरकोर्स करे।
सोहनी ने बताया कि उन्होंने एक दूसरे गाइनकॉलजिस्ट से मिलने का फैसला किया। लेकिन उस डॉक्टर ने सेक्स के दौरान सहयोग न मिलने पर थप्पड़ मारने की सलाह दी। सोहनी ने बताया कि सौभाग्य से मेरे पति ने उस सलाह पर विचार तक नहीं किया। अब सोहनी के पास इस मामले में ऑनलाइन रिसर्च का विकल्प बचा था। रिसर्च के दौरान सोहनी को पता चला कि वह योनी संकुचन की समस्या से पीड़ित हैं। इस समस्या से घिरे होने पर न चाहते हुए भी वजाइना सिकुड़ने की स्थिति में आ जाता है। ऐसी स्थिति में इंटरकोर्स के दौरान अथाह दर्द, जलन और टीस से कोई भी परेशान हो सकती है। ऐसे में पुरुष के लिए भी इंटरकोर्स असंभव है।

केईएम हॉस्पिटल के सेक्शुअल मेडिसीन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. राजन बंसल ने कहा कि ऐसी हालात में महिलाएं कुछ कहने की स्थिति में नहीं होती हैं कि वह बिस्तर पर नाकाम क्यों रह जाती हैं। डॉ. बंसल ने कहा कि ज्यादातर मामलों में इंटरकोर्स के दौरान यह दर्द मनोवैज्ञानिक होता है। तब संभव है कि उसे किसी बच्चे की तरह अब्यूज किया जाता हो। या फिर कोई उसकी दोस्त कहे कि सेक्स पेनफुल होता ही है। कई ऐसी वजहें हो सकती हैं जब इंटरकोर्स किसी ट्रॉमा से कम नहीं होता। ऐसी स्थिति में काउंसलिंग का सहारा लिया जा सकता है। दोनों को इस समस्या से डरने की बजाय पूरे विश्वास के साथ समझने की जरूरत है। इसमें पुरुष साथी को चाहिए कि वह इंटरकोर्स इत्मीनान और आहिस्ते-आहिस्ते करे। इस दौरान ज्यादा प्रेशर से बचना चाहिए। झटके से भी बचें। ऐसी स्थिति में महिलाएं इस आइडिया को आजमा सकती हैं। वे इंटरकोर्स से पहले अपने वजाइना की में अपनी उंगली डालकर थोड़ा फैलाने की कोशिश करें। इससे उन्हें इंटरकोर्स की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। मिरर सेक्स कॉलमिस्ट डॉ. महिंदर वत्स का कहना है कि ऐसे मामलों में कई बार जारूकता की भी कमी देखी जाती है। कपल्स को यह बात पता होती है कि वजाइना पर्याप्त रूप में फैलने में समर्थ होता है। नॉर्मल डिलिवरी में इस बात को हम बखूबी समझते भी हैं। ऐसे में सेक्स के दौरान इंटरकोर्स कोई समस्या नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस तरह के ज्यादातर मामलों में फोर प्ले की कमी होती है। मर्दों के मुकाबले महिलाएं सेक्स के दौरान उत्तेजित होने में ज्यादा वक्त लेती हैं। यदि वजाइना ड्राइ है तो इंटरकोर्स पेनफुल होगा। स्त्रोत : हमाचल गौरव उत्तराखंड, शीर्षक-"महिलाएं बिस्तर पर नाकाम क्यों

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