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"हर एक स्त्री और पुरुष को प्यार करने और प्यार पाने का जन्मजात और प्राकृतिक अधिकार है। इसलिए हर एक व्यक्ति को प्रेम सम्बन्ध में होना चाहिए।"-"Every Woman and Man Have Inherent and Natural Right to Love and being Loved. Therefore Every Person Should be in Loving Relationship."

Friday 11 October 2013

भारत में बढ़ रही रेप के वारदातों के पीछे हैं ये 10 कारण

भारत में बढ़ रही रेप के वारदातों के पीछे हैं ये 10 कारण

नयी दिल्ली (ब्‍यूरो)। 16 दिसंबर के रात के दरिंदों को फांसी की सजा मिल गई है। हैवानों को कोर्ट ने फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया है, लेकिन अभी भी बलात्‍कार की वारदातें बदस्‍तूर जारी हैं। आखिर हमारे समाज में यौन हिंसा जैसे घिनौने अपराध होते ही क्यों है? जैसे-जैसे हमारा समाज अधिक शीक्षित और प्रगतिशील होता जा रहा है, वैसे-वैसे ही समाज में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। अवांछित रूप से शारीरिक छुअन, अश्लील टिप्पडि़यां, अश्लील इशारे करना, अश्लील बातें करना, अश्लील एसएमएस करना, अश्लील फिल्में दिखाना, अवांछित फोन करना, काम में बाधा उत्पन्न करने की धमकी देना, काम में वरीयता देने का प्रलोभन देना, काम की उपलब्धियों को प्रभावित करने की धमकी देना, कार्यस्थल को दखलंदाजी युक्त एवं डरावना बनाना, उपभोक्ताओं से गलत व्यवहार करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। ये सब तो अब हमारे सामज के लिए छोटी बात हो गई है। बलात्कार की घिनौनी वारदात यौन हिंसा का सबसे भयानक रूप है। बलात्‍कार भारत में आम बात हो गई है? आए दिन रेप, गैगरेप की खबर देश के किसी न किसी कोने से आती ही रहती है। कई मामले तो इतने संगीन होते हैं कि रोंगटे खड़े कर देते हैं। सोच-विचार के लिए अहम सवाल अब भी है कि आखिरकार हमारे देश में ऐसे बर्बर बलात्कार, यौन अत्याचारों और लड़कियों पर तेज़ाब फेंकने जैसी घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती क्यों जा रही है? जो घटनाएँ संज्ञान में आती हैं उनके हिसाब से भारत में हर 22 मिनट में एक बलात्कार होता है, जबकि सांसदों की एक कमेटी में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविक संख्या इससे लगभग तीस गुनी अधिक है। स्‍लाइडर में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं 10 कारण जिनकी वजह से हमारे समाज में रेप और यौन हिंसा जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं।

10 कारण जिसकी वजह से होते हैं बलात्कार :

1-महिलाओं की दयनीय स्थिति : भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थित उनके प्रति हो रही यौन हिंसा का सबसे बड़ा कारण है। महिलाएं अपने अधिकार से अंजान होती है। बचपन से ही उन्हें अपने घर में दबकर रहने की आदत पड़ जाती है। उनकी यही मजबूरी समाज में उनकी स्थिति को दयनीय बना देती है। जिसके कारम वो अपने प्रति होने वाले अपराध की शिकायत किसी से नही कर पाती है।

2-शिकायत नहीं कर पातीं-महिला पुलिस की तादात कम होना : देखने में आया है कि रेप पीड़ित अधिकांश महिलाएं सिर्फ इसलिए शिकायत नहीं कर पाती क्योंकि वो पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों से घबराती है। महिला पुलिस की कमी के कारण शर्म के कारण महिलाएं अपने साथ हो रहे अत्याचार की शिकायत ही नहीं कर पाती है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ 7 प्रतिशत महिला पुलिस है जो सिर्फ चौकियों पर बैठती है।

3-आम आदमी असुरक्षित वी वी आई पी सुरक्षा में जुटे हैं जवान : जनता की रक्षा करने वाले पुलिस आम आदमी की सुरक्षा के बजाए वीवीआईपी, नेताओं और अधिकारियों की सेवा में जुटी हुई है। दिल्ली में 84000 पुलिस जवानों में से सिर्फ एक तिहाई पुलिस वाले ही आम जनता की सुरक्षा में जुटे हुए है। ऐसे में महिलाएं कैसे सुरक्षित रह सकती है?

4-क्‍या पहनें लड़कियां-उत्तेजित कपड़ों को दोषी ठहरना : देश में बढ़ रही रेप की वारदातों के बाद जो मुद्दा जो सबसे ज्यादा उठकर आया वो महिलाओं के कपड़ो पर आदारित था। नेताओं, पुलिसवालों और अधिकारियों ने महिलाओं के उत्तेजक कपड़ों को उनके प्रति हो रहे हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। 1996 में कराए गए एक सर्वें में 68 फीसदी लोगों ने माना कि महिलाओं के अश्लील और उत्तेजक कपड़े रेप के लिए जिम्मेदार है।

5-दबा कर रखी जाती हैं-घरेलु हिंसा को दबाना रेप की बड़ी वजह : राइट्स ट्रस्ट लॉ ग्रुप के मुताबिक घरेलु हिंसा के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है। भारतीय में अधिकांश लोग घरेलु हिंसा को अपराध नहीं मानते। यूनिसेफ की रिपोर्ट के 15 से 19 साल के 53 फीसदी लड़के और 57 फीसदी लड़कियां मानती है कि अपनी पत्नी को पीटना सही है। जब बच्चा हर में यही सब देख कर बड़ा होता है तो उसके लिए ये सब आम बात होती है और वो भी आगे जाकर यहीं सब करता है। उसकी नजर में महिलाओं की कोई ईज्जत नहीं होती है।

6-भारत की महिलाएं-सुरक्षा की कमी होना : महिला और बाल कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक समाज में महिलाओं के लिए सुरक्षा इंतजामों की कमी है। बस, रेलवे स्टेशन, पब, गलियां कुछ भी सुरक्षित नहीं है। सामाजिक जगहों पर भी महिलाएं असुरक्षित है।

7-कलंकित समाज-महिलाओं को कलंकित होने का डर : रेप या यौन हिंसा जैसे अपराधों में महिलाओं को बदनाम होने का डर होता है। उन्हें लगाता है कि अगर वो इन सबके बारे में शिकायत करेंगी तो सामज उन्हें ही कलंकित करेगा। दरअसल हमारे कुछ नेताओं ने विवादास्पद बयानों को लेकर इस डर को बढ़ा भी दिया है। ऐसे में ज्यादातर महिलाएं अपने साथ हुई घटना को किसी को बिना बताए ही खामोश हो जाती है।

8-दबाव डाला जाता है-रेप पीड़ितों पर समझौता करने का दबाव : अगर हमारे समाज में किसी महिला के साथ रेप या गैंगरेप होता है तो परिवार और समाज उसपर आरोपी से समझौता कर लेने का दबाव बनाने लगते है। कई बार तो पुलिस भी पीड़ित महिला पर समझौते का दबाव डालकर केस दर्ज नहीं करती। महिला की अस्मत से खेलने वाले आरोपियों की हिम्मत बढ़ जाती है और वो ऐसी ही दूसरी घिनौनी वारदातों को अंजाम देने से नहीं कतराता है।

9-कानून-ढ़ीली कानून व्यवस्था : भारत में हर एक लाख लोगों पर 15 न्यायाधीश है, जबकि चीन में प्रति लाख लोगों पर 159 जज है। ऐसे में हमारी लेट लतीफ कानून व्यवस्था के कारण न्याय मिलने में देरी होना रेप जैसी वारदातों को बढ़ावा देता है। कई बार तो देखा गया है कि जेल के आरोप में सजाकाट कर आया आरोपी दुबारा उसी अप राध को अंजाम देता है। कई बार तो बलात्कार पीड़ित महिला भी न्याय मिलने में देरी के डर से शिकायत नहीं करती है।

10-महिलाओं की इज्‍जत-शिक्षा का अभाव : भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति अपराध के बारे में शिक्षा के अभाव में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है। जरुरत ना केवल महिलाओं को शिक्षित करने की है, बल्कि पुरुषों को भी ये बात समझाना जरुरी है कि महिलाओं की इज्जत की जाए। जहां लड़कियों में आत्मरक्षा की कमी है तो वहीं लड़कों में वैचारिक सोच की। 

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